बहुत तेज भूख लगी थी, डट कर खाना खाया, बटुक जी के लिए पेठा खरीद कर आगरेवाले डिब् बे में भर दिया और वहीं पुरानी दिल् ली से गाड़ी पकड़ कर जालंधर लौट आए।
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राजा बैगन का व्यंजन देख कर बहुत प्रसन्न हुआ क्योंकि बहुत समय से उसने बैगन का व्यंजन नहीं खाया था इसलिए उसने ख़ूब डट कर खाना खाया और फिर पेट पर हाथ फेरते हुए राजा ने अपने वज़ीर से कहाः प्रिय वज़ीर! बैगन संसार का सबसे अच्छा व्यंजन है।